पौराणिक अवधारणायें एवं रोचक तथ्य : अकूत संपदा एवं चिर यौवन प्राप्ति के रहस्य
भारतवर्ष का सबसे बड़ा त्यौहार है दीपावली | यह त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है | संपूर्ण देश में हर्षोल्लास से मान्य जाने वाले इस पर्व का प्रथम दिवस धनतेरस के नाम से जाना जाता है | आज हम इसी पर्व के बारे में न सिर्फ विस्तार से जानेंगे अपितु अकूत संपदा एवं चिर यौवन प्राप्ति के रहस्यों से भी परिचित होंगे !
Mythological significance of Dhanteras : धनतेरस, हिन्दी पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, और इसे ‘धनत्रयोदशी’ भी कहा जाता है। धनतेरस का पौराणिक महत्व है, और इसे धन के देवता, धन्यलक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, धनतेरस का महत्व महाभारत काल से जुड़ा है। एक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय धन्यलक्ष्मी देवी ने समुद्र में से उत्पन्न होकर धनुषों के साथ बाहर निकली थीं। इसलिए, इस दिन को धनत्रयोदशी कहा जाता है, और लोग इस दिन धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए धन्यलक्ष्मी माता की पूजा करते हैं।
दूसरी कथा के अनुसार, यमराज ने अपने सेवक धन्य को धनतेरस के दिन अपने यहां आमंत्रित किया था, और धन्य ने अपने घर को सुंदरता से सजाकर धन्यलक्ष्मी की पूजा की थी। इससे उन्हें धन और समृद्धि मिली, और इस दिन को धनत्रयोदशी के रूप में मनाने की परंपरा बनी।
धनतेरस का पूजन और दीपावली के पहले दिन होने के कारण, इसे धनतेरस कहा जाता है। लोग इस दिन धन्यलक्ष्मी माता की पूजा करते हैं और नए धन की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।
Maharaj Kuber : महाराज कुबेर हिन्दू धर्म में धन के देवता के रूप में माने जाते हैं। वे हिन्दू पौराणिक साहित्य में एक प्रमुख यक्ष राजा हैं और विशेषत: ऋग्वेद, महाभारत, रामायण और पुराणों में उल्लेख किए गए हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो महाराज कुबेर के बारे में हैं:
1. परिचय :
महाराज कुबेर हिमालय पर्वत के राजा थे और वे यक्षराज के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्हें धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि के देवता के रूप में माना जाता है।
2. कुबेर का सम्बंध :
कुबेर का सम्बंध राक्षस राजा रावण के साथ है, जो रामायण महाकाव्य में दिखाई गए हैं। कुबेर रावण के भाई थे और उनके परम भक्त भी माने जाते हैं।
3. यक्षराज :
महाराज कुबेर को यक्षराज कहा जाता है, जो यक्षों के राजा के रूप में जाने जाते हैं। वे विशेषत: धन के प्रमुख रक्षक और संरक्षक हैं।
4. लक्ष्मीपति की कथा :
एक कथा के अनुसार, कुबेर ने तपस्या और भक्ति के परिणामस्वरूप भगवान शिव से वर्षों तक तपस्या की थी। उन्हें शिव ने धन्यता और धन के देवता का पद प्रदान किया था।
5. श्रीकृष्ण के साथ संबंध :
महाभारत महाकाव्य में कहा गया है कि कुबेर ने अपनी पत्नी रत्नी के साथ श्रीकृष्ण की ब्रज में आगमन किया था और दर्शन प्राप्त किया था।
6. धन और समृद्धि के प्रती पूजा :
कुबेर की पूजा को धनतेरस और दिवाली के दिन की जाती है। लोग इस दिन धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए कुबेर की पूजा करते हैं।
महाराज कुबेर हिन्दू साहित्य में धन के प्रती समर्पित एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं और उनकी पूजा से लोग धन और समृद्धि की कामना करते हैं।
Vaidyaraj Dhanvantari : वैद्यराज धन्वंतरि हिन्दू धर्म में चिकित्सा और आयुर्वेद के अध्यात्मिक पिता के रूप में माने जाते हैं। वे भगवान विष्णु के अवतार में जाने जाते हैं और आयुर्वेद के संस्थापक माने जाते हैं।
यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो वैद्यराज धन्वंतरि के बारे में हैं:
1. आयुर्वेद के पिता :
धन्वंतरि को आयुर्वेद के अध्यात्मिक पिता के रूप में माना जाता है। उन्होंने चिकित्सा और औषधि विज्ञान की शिक्षा प्रदान की और मानवता को अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा दी।
2. समुद्र मंथन :
धन्वंतरि भगवान का उत्पत्ति कथा महाभारत के समुद्र मंथन कांड से जुड़ी है। उन्हें समुद्र मंथन के समय अमृत कलश के साथ प्रकट होने वाले विशेष स्वरूप के रूप में देखा गया था।
3. धन्वंतरि जयंती :
धन्वंतरि जयंती को आयुर्वेद दिवस भी कहा जाता है, और इस दिन चिकित्सा विज्ञान, औषधि, और स्वस्थ जीवन को महत्वपूर्ण बनाए रखने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
4. आयुर्वेद के ग्रंथ :
धन्वंतरि ने आयुर्वेद के महत्वपूर्ण ग्रंथों को समर्पित किया और उन्होंने विभिन्न औषधियों के लिए विवेचना की। उनकी शिक्षाएं आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण हैं।
5. चिकित्सा विज्ञान में मान्यता :
धन्वंतरि का योगदान चिकित्सा विज्ञान में उच्च मान्यता और सम्मान का दाता रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में उनकी शिक्षाएं आज भी चिकित्सकों द्वारा अमल में लाई जाती हैं।
वैद्यराज धन्वंतरि का जन्मोत्सव एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आयुर्वेदिक उत्सव है, जो चिकित्सा और स्वस्थ जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों की स्मृति में मनाया जाता है।
Get Rich Quickly : कुबेर मंत्र का उच्चारण और जप करने से लोग धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, और इसे धन के देवता कुबेर की कृपा प्राप्त हो सकती है। यहां कुछ प्रसिद्ध कुबेर मंत्र हैं:
1. कुबेर मंत्र :
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ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्य समृद्धिं में देहि दापय स्वाहा।
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इस मंत्र का जप करते समय, व्यक्ति को कुबेर की कृपा प्राप्त होती है और धन, समृद्धि, और धनधान्य की प्राप्ति होती है।
2. कुबेर बीज मंत्र :
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।
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यह मंत्र भी कुबेर की कृपा प्राप्ति के लिए जाना जाता है। इसका जप करने से धन की प्राप्ति हो सकती है।
3. कुबेर धन प्राप्ति मंत्र :
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।
धन धान्य समृद्धि कुरु कुरु स्वाहा।
“`
इस मंत्र के जप से कुबेर की कृपा से धन, धान्य, और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
4. कुबेर आरती मंत्र :
“`
ॐ कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्य समृद्धिं में देहि दापय स्वाहा।
“`
इस मंत्र का आरती रूप में जप करने से व्यक्ति को धन, धान्य, और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
कुबेर मंत्रों का जप करते समय, सकारात्मक भावना, श्रद्धा, और निरंतरता से उच्चारण करना चाहिए। मंत्रों का योगदान सिर्फ धन की प्राप्ति ही नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और उच्च आदर्शों की प्राप्ति में भी होता है।