स्वास्थ्य संपदा एवं चिर यौवन प्राप्ति के रहस्य : पौराणिक अवधारणायें एवं रोचक तथ्य
भारतवर्ष का सबसे बड़ा त्यौहार है दीपावली | यह त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है | संपूर्ण देश में हर्षोल्लास से मान्य जाने वाले इस पर्व का द्वितीय दिवस रूपचौदस के नाम से जाना जाता है | आज हम इसी पर्व के बारे में न सिर्फ विस्तार से जानेंगे अपितु स्वास्थ्य संपदा एवं चिर यौवन प्राप्ति के रहस्यों से भी परिचित होंगे !
Mythological significance of Roopchaudas : रूप चौदस को सुंदरता का उत्सव मनाने का दिन माना जाता है.
✅ हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रूप चौदस के दिन, भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. नरकासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसने कई सालों तक दुनिया को आतंकित रखा था.
✅ मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं.
✅ रूप चौदस को नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है.
✅ इस दिन मृत्यु के देवता यमराज, मां काली और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है.
✅ इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके यम तर्पण और शाम के समय दीप दान करने का विशेष महत्व है.
✅ मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है.
✅ विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं.
Devil Narkasur : हिंदू पौराणिक कथाओं में नरकासुर एक असुर राजा था. नरकासुर को हेलासुर और भौमासुर के नाम से भी जाना जाता है. नरकासुर एक दैत्य था.
नरकासुर, विष्णु और भूदेवी का पुत्र था.
नरकासुर, ‘वराह अवतार’ के समय पैदा हुआ था.
बाणासुर की संगति में पड़कर नरकासुर दुष्ट हो गया था.
वसिष्ठ ने नरकासुर को विष्णु के हाथों मारे जाने का शाप दिया था.
नरकासुर ने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की थी.
भगवान ब्रह्मा ने नरकासुर को वरदान दिया था कि केवल उसकी माँ ही उसे मार सकती है.
नरकासुर ने अपनी शक्ति से इंद्र और अन्य सभी देवताओं को परेशान कर दिया था.
नरकासुर जनता के साथ ही संतों पर भी अत्याचार करता था.
नरकासुर ने अपने पास प्रजा और संतों की 16 हज़ार स्त्रियों को बंदी बना लिया था.
भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया. उसके पिता विष्णु और माता भूदेवी ने ही कृष्ण और सत्यभामा के रूप में उसका संहार किया था। श्रीकृष्ण ने उसका संहार कर 16 हजार लड़कियों को कैद से आजाद करवाया था.
नरकासुर के वध की खुशी में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है.
नरक चतुर्दशी, दीपावली पर्व का ही एक भाग है.
नरकासुर का निवास श्रीमद् भागवत पुराण में प्राग्ज्योतिषपुर माना गया है, जो आज का असम ही है.
Mantras to attain eternal youth : चिर यौवन प्राप्ति के लिए कुछ मंत्र इस प्रकार हैं:
रंभा तीज मंत्र: ह्रीं ह्रीं रं रम्भे आगच्छ आज्ञां पालय पालय मनोवांछितं देहि रं ह्रीं ह्रीं
चिर यौवन और सुंदरता पाने का प्राचीन वैदिक तरीका: ॐ ऐं सौंदर्य सिद्धि ऐं ॐ
सौंदर्य प्राप्ति के लिए मातृका मंत्र: ऊं ऐं हीं षोड्श मातृकाभ्यो नम:
चिर यौवन शारीरिक उत्कृष्ट स्थिति है जो संयमित जीवन का प्रतिफल है.
चिर यौवन और सौंदर्य पाने के लिए किसी शुक्रवार को यह उपाय करना चाहिए:
किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनें
केसर का तिलक लगाएं
पूर्व दिशा की ओर मुख कर कुश के आसन पर बैठ जाएं
स्फटिक या सफेद हकीक की माला से आगे लिखे मंत्र की 11 माला का जप करें
जप की समाप्ति के बाद इस माला को एक सफेद कपड़े में लपेट कर किसी नदी में प्रवाहित कर दें